नई दिल्ली, नेशनल जनमत ब्यूरो।
देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आज (बुधवार) को एक अजीब स्थिति उत्तपन्न हो गई। जब मंच पर पहुंचे डॉ. अनूप पटेल ने कुलपति जगदीश कुमार के हाथों से ना सिर्फ पीएचडी डिग्री लेने से मना कर दिया बल्कि उनसे हाथ भी नहीं मिलाया।
ऑल इंडिया काउंसिल फॉर पर टेक्नीकल एजुकेशन ( AICTE) के कैम्पस में आयोजित समारोह में मंच पर कुलाधिपति वीके सारस्वत भी मौजूद थे उन्होंने स्थिति संभालते हुए डॉ. अनूप पटेल से पूछा कि मुझसे तो हाथ मिलाओगे इस पर डॉ. अनूप ने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा जी सर क्यों नहीं ?
मालूम रहे कि जेएनयू में एमफिल, पीएचडी करने के दौरान डॉ. अनूप पटेल पिछड़े वर्ग के छात्र आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं और हाल में ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता बनाए गए हैं।
ऐसा क्यों किया डॉ. अनूप ने-
नेशनल जनमत से बात करते हुए डॉ. अनूप पटेल ने कहा कि पीएचडी की डिग्री मिलना मेरे लिए खुशी और गर्व की बात थी लेकिन मैं उसे किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ से नहीं लेना चाहता था जिसे जेएनयू जैसे लोकतांत्रिक संस्थान का भगवाकरण करने का दोषी माना जाता है।
डॉ. अनूप ने बताया कि कुलपति डॉ. जगदीश कुमार पूरी तरह से संघ की मानसिकता से प्रेरित हैं और उन पर एंटी स्टूडेंट पॉलिसी लागू करने का भी आरोप है। उन्होंने आगे जोड़ा ये वही कुलपति हैं जिन्होंने छात्रों में देशभक्ति जगाने के लिए कैम्पस के अंदर युद्ध टैंक रखवाने की बात कही थी।
इसलिए मैंने ऐसे कुलपति के हाथों से डिग्री न लेकर और हाथ न मिलाकर देश व छात्रों की तरफ से कुलपति महोदय की इस विचारधारा का विरोध दर्ज कराया है।
जेएनयू में ओबीसी आंदोलन में सक्रिय रहे अनूप-
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल और फिर अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर पीएचडी करने वाले डॉ. अनूप पटेल बुंदेलखंड के बांदा जिले के एक सामान्य किसान परिवार से आते हैं। जेएनयू में पढ़ाई के दौरान तमाम छात्र आंदोलनों व संगठनों में सक्रिय रहे।
पीएचडी के अपने विषय भारत की आरक्षण नीति और साउथ अफ्रीका के अफर्मेटिव एक्शन के तुलनात्मक अध्ययन की थीसिस कंपलीट करने के लिए साउथ अफ्रीका में काले-गोरों की हिस्सेदारी को करीब से समझने के लिए साउथ अफ्रीका भी गए और वहां रहकर इसे करीब से समझा।
ओबीसी छात्रों की समस्याओं के लिए आपने जेएनयू में ही ऑल इंडिया बैकवर्ड स्टूडेंट फोरम की स्थापना भी की थी। इसके साथ ही जेएनयू में मंडल कमीशन पर राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित कराया।
पिछड़ा वर्ग के मुद्दों के प्रति उनकी गंभीर समझ को देखते हुए पहले उन्हे पिछड़ा वर्ग विभाग में मुख्य प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई इसके कुछ ही दिन बाद लिखिति परीक्षा देकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता बन गए।
बस इसके बाद डॉ. अनूप पटेल ने मुड़कर नहीं देखा। राजनीतिक मुद्दों के प्रति उनकी समझ व शैक्षणिक योग्यता से सांसद व प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर भी जबरदस्त प्रभावित हुए।
बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे अनूप पटेल बिना किसी सिफारिश के लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के आधार पर हाल ही में कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के उत्तर प्रदेश में प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं।
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