नई दिल्ली, नेशनल जनमत ब्यूरो
देश में विधायिका और कार्यपालिका को लेकर तो काफी पहले से ही लोगों के बीच असंतोष था अब धीरे-धीरे मीडिया और न्यायपालिका के प्रति भी लोगों में अविश्वास गहराता जा रहा है। कोर्ट के अजीबोगरीब फैसले इस धारणा को और मजबूती प्रदान करते हैं।
ऐसा ही एक अजीब फैसला बिहार की स्थानीय अदालत ने दिया है जिसमें इंसाफ मांगने आई रेप पीड़िता और उसका सहयोग करने वालीं तो सामाजिक कार्यकर्ताओं को ही अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए जेल भेज दिया गया। ये तो सुना था कि कानून अंधा होता है लेकिन इतना ये नहीं सुना था।
बिहार के अररिया में रेप पीड़िता और उनके दो सहयोगियों पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगा है. जिसके बाद गैंगरेप पीड़िता सहित तीनों लोगों को समस्तीपुर के दलसिंहसराय जेल भेज दिया गया है.
महिला थाने में दर्ज FIR के अनुसार मोटरसाइकिल सिखाने के बहाने पीड़िता को एक परिचित लड़के ने बुलाया. फिर उसको वो सुनसान जगह ले जाया गया. जहाँ मौजूद चार अज्ञात पुरूषों ने उसके साथ बलात्कार किया. FIR के मुताबिक़ रेप पीड़िता ने अपने परिचित से मदद मांगी, लेकिन वो वहाँ से भाग गया.
घबराई रेप पीड़िता, अररिया में काम करने वाले जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों की मदद से अपने घर पहुँची. लेकिन उसे घर में ही ताने मिलने लगे तो वो घर छोड़कर जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों के साथ ही रहने लगी।
संगठन के प्रयास से ही 8 जुलाई को मेडिकल जाँच हुई. जिसके बाद 10 जुलाई को बयान दर्ज कराने के लिए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाया गया.
मजिस्ट्रेट साहब का ईगो हर्ट हो गया ?
जन जागरण शक्ति संगठन की ओर से बताया गया कि रेप पीड़िता और संगठन के कार्यकर्ता 10 जुलाई को दोपहर 1 बजे कोर्ट पहुँचे। वहाँ इन लोगों ने कॉरीडोर में इंतज़ार किया। उस वक़्त केस का एक अभियुक्त भी वहीं मौजूद था. तकरीबन 4 घंटे के इंतज़ार के बाद रेप पीड़िता का बयान हुआ।
“बयान के बाद जब उसे ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा, तो वो उखड़ी पड़ी और बोली मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. आप क्या पढ़ रहे है, मेरी कल्याणी दीदी को बुलाइए.”
“बाद में, केस की जाँच अधिकारी को बुलाया गया, पीड़िता ने बयान पर हस्ताक्षर किए. बाहर आकर पीड़िता ने संगठन के दो सहयोगियों तन्मय निवेदिता और कल्याणी बडोला से तेज़ आवाज़ में पूछा कि ‘तब आप लोग कहाँ थे, जब मुझे आपकी ज़रूरत थी ? “
बाहर से आ रही तेज़ आवाजों के बीच ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने कल्याणी को अंदर बुलाया. कल्याणी ने पीड़िता का बयान पढ़कर सुनाए जाने की मांग की. जिसके बाद वहाँ हालात तल्ख होते चले गए. तकरीबन शाम 5 बजे कल्याणी, तन्मय और रेप पीड़िता को हिरासत में लिया गया और 11 जुलाई को जेल भेज दिया गया.
स्थानीय मीडिया खबरों के अनुसार कोर्ट के पेशकार राजीव रंजन सिन्हा ने दुष्कर्म पीड़िता सहित दो अन्य महिलाओं के विरुद्ध महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है. दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि पीड़िता ने बयान देकर फिर उसी पर अपनी आपत्ति जताई.
रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि, ” कोर्ट में बयान की कॉपी भी छीनने का प्रयास किया गया. कोर्ट में अभद्रता से आक्रोशित जेएम ने तीनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.”
महिला संगठनों ने किया विरोध-
इस घटना के सामने आने के बाद बिहार के महिला संगठनों ने तीनों की रिहाई के लिए राज्य में प्रदर्शन भी किए।
एडवा की प्रदेश अध्यक्ष रामपरी के मुताबिक, ” ये एक अमानवीय फ़ैसला है। वो मानसिक तनाव की स्थिति से गुज़र रही थी। उसको कई बार घटना को बताना पड़ा, उसकी पहचान उजागर की गई। एक अभियुक्त और उसके परिवार के लोगों ने शादी का प्रस्ताव देकर मामले को रफ़ा- दफ़ा करने की कोशिश की, जिसको पीड़िता ने ठुकरा दिया।
वो 22 साल की है, वयस्क है और अपना केस मज़बूती से लड़ना चाहती है लेकिन कांउसलिंग की भी कोई सुविधा नहीं है. हम न्यायपालिका में विश्वास रखते हुए, न्याय की मांग और उम्मीद करते है.”
पीड़िता किसी सहयोगी को साथ रख सकती है-
कानून के जानकारों को कहना है कि रेप के कानून में एक बड़ा बदलाव ये आया कि अब पीड़िता को पुरानी सेक्शुएलिटी हिस्ट्री डिस्कस न करने की आजादी दी गई है। 164 का बयान दर्ज़ कराते वक़्त अगर पीड़िता किसी विश्वस्त को साथ में ले जाना चाहती है, तो इसकी अनुमति दी गई.
प्रावधान तो ये भी है कि अगर संभव है तो महिला जज के सामने ही बयान दर्ज किया जाना चाहिए और पीड़िता को बयान की कॉपी भी मिलना चाहिए। लेकिन इन सबके बावजूद रेप पीड़िता के साथ सामाजिक, पारिवारिक और क़ानूनी स्तर पर अमानवीय व्यवहार होता है.”
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