नई दिल्ली, नेशनल जनमत ब्यूरो।
राजस्थान से कुछ दिनो पहले से सामान्य सी दिखने वाली एक बड़ी ख़बर आई थी। खबर थी कि किसान बचाओ-देश बचाओ संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक पंकज धनखड़ और प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह राजू ने धर्मेंद्र जाटव को किसान बचाओ-देश बचाओ संघर्ष समिति का प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया था।
इस ख़बर का विश्लेषण करे, उससे पहले धर्मेंद्र जाटव का परिचय हो जाए, धर्मेंद्र जाटव देश के सबसे बेहतरीन आईआईटी में से एक आईआईटी रूड़की से प्रोडक्शन और इंडस्ट्रीयल स्टडीज में बी टेक हैं। हिन्दुस्तान जिंक जैसे बेहतरीन संस्थान में काम कर चुके हैं। समाज और राजनीति के साथ काम करने का अनुभव है। राजस्थान में धर्मेंद्र जाटव सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में जाना-माना नाम हैं.
राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार जितेन्द्र महला लिखते हैं कि धर्मेंद्र जाटव के किसान बचाओ-देश बचाओ संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के मायने बहुत दूरगामी हैं।
राजस्थान में सतह के नीचे ही नीचे सामाजिक और राजनीतिक रूप से वो सब हो रहा है जो पिछले सौ साल में नहीं हुआ, बिहार, उत्तरप्रदेश और हरियाणा और पंजाब में पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों की एकजुटता से इन वर्गों के राजनीतिक दल और सरकारे बनी.
इन राज्यों में वर्चस्ववादियों और जातिवादियों को बहुजनों ने लंबे समय तक परास्त किया. यहीं से चौधरी छोटूराम, चौधरी चरण सिंह, कांशीराम, ताऊ देवीलाल, जेपी और लोहिया जैसे प्रखर राजनीतिज्ञ हुए, जो लगभग आधी सदी तक जातिवादियों के सामने दीवार बनकर खड़े रहे।
लेकिन राजस्थान इन सब सामाजिक और राजनीतिक बदलावों से दूर रहा, कोशिशें हुई लेकिन कामयाब नहीं हुई। सामाजिक और राजनीतिक न्याय का सवाल आज तक बुलंदी पर नहीं पहुंचा।
आरएसएस-बीजेपी वंचितों को कमजोर बना रहे हैं-
ऐसे वक्त में जब आरएसएस और बीजेपी देश भर में किसानों, दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों, गरीबों, मजदूरों और बेरोजगारों को गैर संवैधानिक रूप से निशाना बना रहे हैं, आरक्षण, स्वामीनाथन आयोग, निजी क्षेत्र में आरक्षण, जाति जनगणना और सच्चर कमेटी जैसे कितने ही न्यायपूर्ण मुद्दों को बीजेपी और आरएसएस कमजोर करने की साज़िश कर रहे हैं।
तब राजस्थान में आरएसएस और बीजेपी की इन्हीं साज़िशों के विरुद्ध पिछड़े, आदिवासी, दलित, मुसलमान, गरीब, मजदूर और बेरोजगार बहुत तेजी से एकजुट हो रहे हैं। अगस्त महीने के आखिर में जोधपुर में राजस्थान के कद्दावर सामाजिक-राजनीतिक नेता और कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी, रामनारायण चौधरी, मोतीराम मैणसा और भगीरथ नैण एक मंच पर थे। सबने एकजुट होकर कहा कि हम राजस्थान में आरएसएस, बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ़ पूरे भरोसे के साथ लड़ेंगे।
पुष्कर में जाटों ने कहा ब्राह्मणवादी तीर्थ जाना बंद करो-
सितंबर महीने के आखिर में रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में पुष्कर में जाटों का अखिल भारतीय राष्ट्रीय जाट चिंतन शिविर आयोजित हुआ, जहां जाटों ने सर्वसम्मति से ब्राह्मणवादी तीर्थों को बंद करने और बीजेपी और कांग्रेस को वोट नहीं देने का फैसला किया।
अब इसी लकीर को लंबा खींचते हुए आईआईटियन धर्मेंद्र जाटव को किसान बचाओ-देश बचाओ संघर्ष समिति का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया हैं. यह एकजुटता आरएसएस, बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ़ है।
धर्मेन्द्र जाटव का इस समिति का पदाधिकारी बनना किसानों, दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों, गरीबों, मजदूरों और बेरोजगारों के समर्थन में है। आरक्षण, निजी क्षेत्र में आरक्षण, स्वामीनाथन आयोग, जाति जनगणना, सच्चर कमेटी, शिक्षा और सेहत के लोकतंत्रिकरण और जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों के न्यायपूर्ण बंटवारे के समर्थन में है।
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, समता, स्वतंत्रता, अमन और बंधुता के पक्ष में है। यह एकजुटता राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन के समर्थन में है। आरएसएस, बीजेपी और कांग्रेस के अलावा किसी के विरुद्ध नहीं है।
धर्मेंद्र जाटव साहेब आपको भरोसा दिलाते हैं कि जब तक रहेंगे, संविधान के सपनों के साथ रहेंगे. आपको एक बार फिर प्रदेश स्तरीय नेतृत्व मुबारक़ हो।
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