नेशनल जनमत ब्यूरो, नई दिल्ली
मलाईदार ट्रांसफर-पोस्टिंग की चाहत में सत्ताधारी नेताओं के आगे ताउम्र सर झुकाने वाले नौकरशाहों व पुलिस के आला अधिकारियों के लिए नजीर हैं गुजरात पुलिस की सिपाही सुनीता यादव।
ये घटना इस बात की गवाह है कि ड्यूटी का पालन करे तो एक सिपाही भी मंत्री पर भारी है और गुलामी पर आ जाए तो प्रदेश का पुलिस मुखिया भी कुछ नहीं।
गुजरात के सूरत शहर में तैनात कांस्टेबल #सुनीता_यादव ने मंत्री के बेटे से मिली धमकी और अपने आला अधिकारियों से सहयोग न मिलने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर सुनीता यादव के समर्थन में लोग उतर आए हैं।
दरअसल कांस्टेबल ने सूबे में स्वास्थ्य राज्य मंत्री कुमार कनानी के बेटे प्रकाश और उसके दोस्तों को नाइट कर्फ्यू का पालन नहीं करने और मास्क नहीं पहनने पर चेक प्वाइंट पर रोक दिया और उनसे पूछताछ की। इस दौरान मंत्री के बेटे ने और खुद मंत्री ने फोन पर कांस्टेबल को धमकी दी।
सहायक पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) पीएल चौधरी ने कहा कि महिला कांस्टेबल और मंत्री के बेटे के बीच हुई बहस की एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस क्लिप में सुना जा सकता है कि मंत्री कुमार कनानी का बेटा प्रकाश महिला कांस्टेबल सुनीता यादव के साथ बहस कर रहा है और अपनी राजनीतिक पैठ को लेकर उसे धमका रहा है।
उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद सुनीता ने अपने शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की। जहां अधिकारियों ने मामले को रफा दफा करने और घटनास्थल से जाने को कहा। इस घटना से महिला कांस्टेबल खासा निराश हो गई और उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। चौधरी ने बताया कि यह घटना बुधवार रात को सूरत के मानगढ़ चौक पर हुई।
चौधरी ने कहा कि जब ऑडियो क्लिप के बारे में सूरत के पुलिस कमिश्नर आर बी ब्रह्मभट्ट को पता चला तो उन्होंने एसीपी (ए-डिवीजन) सीके पटेल से मामले की जांच करने को कहा। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।
ऑडियो क्लिप में युवक को कहते सुना जा सकता है कि उसकी पहुंच इतनी है कि वह उसे यहीं पर 365 दिनों के लिए खड़ा करवा सकता है। इस पर महिला कांस्टेबल कहती है कि वह उसके पिता की सेवक नहीं है कि वे 365 दिनों के लिए यहीं पर उसे तैनात करवा दें।
हालांकि मंत्री ने दावा किया कि उनका बेटा कोरोना वायरस का इलाज करा रहे अपने ससुर को देखने सिविल अस्पताल जा रहा था क्योंकि उनकी हालत नाजुक थी, उसी बीच कांस्टेबल ने उसे रोका।
मंत्री ने कहा कि उसने जाने देने का अनुरोध किया। उन्होंने दलील दी कि वाहन पर विधायक क्यों लिखा है। तब उसने कहा कि यह उसके पिता का वाहन है। मैं मानता हूं कि उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए थी कि मेरा बेटा क्या कह रहा है। मैं मानता हूं कि दोनों पक्षों को एक दूसरे को समझना चाहिए था।
दरअसल कोरोनावायरस के चलते प्रदेश में कर्फ्यू लागु करने का आदेश दिया था। कर्फ्यू के नियमों का पालन कराने की ज़िम्मेदारी प्रदेश पुलिस को सौंपी गयी थी। ऐसे में सुनीता यादव ने कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान सूरत के वराछा इलाके में लगे कर्फ्यू में बिना मास्क पहने घूमने वाले युवकों को पकड़ा लिया था।
जिनके बचाव में मंत्री पुत्र प्रकाश कानाणी मौके पर पहुंचे और उनकी रिहाई के लिए सुनीता यादव से पहले बदसूलकी भी इस पर सुनीता यादव ने नियमों का हवाला देते हुए गाड़ी में रखी विधायक की तख्ती को हटाने के लिए भी कहा था।
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