नई दिल्ली, नेशनल जनमत ब्यूरो।
केंद्र में ताकतवर सत्ता पक्ष यानि भारतीय जनता पार्टी हर तरीके से लोकतंत्र को अपनी मुठ्ठी में कैद करने पर आमादा है। देश भर में खरीद-फरोख्त के माध्यम से सत्ता पर काबिज होने पर आतुर बीजेपी की सरकारें संवैधानिक पदों पर भी तानाशाही करने से बाज नही आ रहीं।
ताजा मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का है जहां अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन को उनके ही कार्यालय में बैठने से ही रोक दिया गया। गलत तरीके से सचिव के माध्यम से ताला लगवा दिया गया।
सागर के पूर्व सांसद और मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. आनंद अहिरवार को उनके ऑफिस में ही बैठने से रोक दिया गया। जब वह सुबह दफ्तर पहुंचे तो वहां पर ताला पड़ा था। आयोग के सेक्रेटरी ने कहा कि मुझसे कहा गया है कि आपको ऑफिस में न बैठने दिया जाए।

अध्यक्ष ने इस बाबत राज्य अनुसूचित जाति आयोग के कमिश्नर और प्रमुख सचिव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन नहीं उठाया गया। अध्यक्ष आनंद अहिरवार ने कहा कि भाजपा की सरकार और उनका ये तंत्र लोकतंत्र का गला घोटकर घटिया काम कर रहे हैं।
आनंद अहिरवार ने कहा कि 15 जून को गुना में दलित परिवार के साथ हुए अत्याचार से प्रदेश पूरे देश में शर्मसार हुआ है। इस अत्याचार की रिपोर्ट जब मैंने सूचना आयोग के माध्यम से ऊपर भेजना चाहता हूं तो मेरे कमरे में ताला लगा दिया गया।
हम वो रिपोर्ट आयोग को भेजना चाह रहे थे, लेकिन वह नहीं चाहते कि ये रिपोर्ट आगे भेजी जाए और सत्य उजागर हो। मैंने उस परिवार, वहां के समाजसेवी और प्रशासन से मिलकर पूरी रिपोर्ट तैयार की है।
हाईकोर्ट की आदेश को भी नहीं मान रही सरकार-
डॉक्टर आनंद अहिरवार ने बताया कि हाईकोर्ट की तरफ से उनके पद को लेकर स्टे दिया गया है और दूसरी तरफ अब तक उनसे किसी और ने राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष का चार्ज भी नहीं लिया है।
ऐसे में कार्यालय में ताला लगाने का कृत्य गलत है और हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना है क्योंकि कोर्ट से उन्हें अनुमति मिली है कि फिलहाल वो इस पद पर रह सकते हैं। सरकार डबल बेंच चली गई, लेकिन वहां भी यथास्थिति बनाए रखने को कहा था।
डॉक्टर आनंद अहिरवार पूर्व सांसद हैं और कमलनाथ सरकार में आयोग के अध्यक्ष बने थे. राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त डॉक्टर आनंद ने गुना जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज को पत्र भी लिखा था।
पत्र में उन्होंने दलित परिवार को आर्थिक सहायता देने और दलित परिवार के एक व्यक्ति को शासकीय नौकरी देने की बात लिखी थी.
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