नई दिल्ली, नेशनल जनमत ब्यूरो।
कभी सोशल मीडिया और विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों का प्रयोग करके अपने पक्ष में माहौल तैयार करवाके सत्ता में आने वाली मोदी सरकार आज इसी सोशल मीडिया से घबरा रही है। शायद इसका सबसे कारण ऑनलाइन मीडिया का सरकार के दवाब में काम ना करना है।
सरकार के पक्ष में तथाकथित मुख्य धारा का ‘गोदी मीडिया’ माहौल तो बनाता है लेकिन सोशल मीडिया उस झूठ को बेनकाब करके गांव-गांव तक सरकार की सच्चाई पहुंचा देता है।
मोदी सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसी सच्चाई को लोगों तक पहुंचने देने के लिए ऑनलाइन मीडिया पर चाबुक चलाने का फैसला कर लिया है. इसके नियम बनाने के लिए बकायदा एक कमेटी भी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में अलग-अलग मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को सम्मलित किया गया है।
यह कमेटी डिजीटल मीडिया कंपनियों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगी। इसके लिए एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया है, जो ‘फेक न्यूज’ पर मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों की आलोचना होने के बाद उसे वापस लिए जाने के एक दिन बाद आया।
इस बारे में नेशनल जनमत के संपादक नीरज भाई पटेल का कहना है कि ऑनलाइन माध्यमों ने तथाकथित मुख्यधारा के चैनलों, अखबारों के एकाधिकार को समाप्त करके दलित-पिछड़े और वास्तविक पत्रकारों के हाथ में एक ताकत दी है। जिससे वो बिना किसी कॉरपोरेट घराने के दवाब के सरकार की गलत नीतियों की बखिया उधेड़ सके।
श्री पटेल आशंका जाहिर करते हैं कि इसी ताकत से घबराकर सरकार ने इस कमेटी का गठन किया है। अब इस कमेटी का पहला मकसद ऐसे नियम, कायदे, कानून बनाने का होगा जिससे सरकार के खिलाफ लिखने वाले न्यूज पोर्टल पर लगाम लगाई जा सके।
कमेटी में ऑनलाइन मीडिया का कोई प्रतिनिधि नहीं-
इस कमेटी में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया( पीसीआई), न्यूज ब्रॉडकॉस्टर एसोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकास्टर फेडरेशन के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। आदेश में कहा गया है कि निजी टीवी चैनलों पर विषय वस्तु का नियमन ‘कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता’ करता है, जबकि प्रिंट मीडिया का नियमन के लिए पीसीआई के पास अपने नियम हैं।
ऑनलाइन मीडिया वेबसाइटों और न्यूज पोर्टल के नियमन के लिए कोई नियम या दिशा-निर्देश नहीं है। इसलिए, डिजिटल प्रसारण एवं मनोरंजन/ इंफोटेनमेंट साइटों और न्यूज/मीडिया एग्रेगेटर सहित ऑनलाइन मीडिया/न्यूज पोर्टल के लिए एक नियामक ढांचे का सुझाव देने तथा उसे बनाने के लिए एक कमेटी गठित करने का फैसला किया गया है।
स्मृति ईरानी की सोची समझी रणनीति-
आदेश में कहा गया है कि कमेटी ऑनलाइन मीडिया/ न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए जरूरी नीति बनाने की सिफारिश करेगी। ऐसा करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), टीवी चैनलों के कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता सहित पीसीआई के नियमों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
पिछले महीने सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने एक बयान में कहा था कि यह जरूरी है कि पाठक और दर्शक किसी एंजेडे के तहत चलाई गई खबरों या फिर एडविटोलियल कंटेट से प्रभावित न हों।
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